बाल संरक्षण के अंतर्गत बाल विवाह रोकने को तत्पर है एनसीपीसीआर। सुमन राय।

सितारगंज। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के निर्देशानुसार आयोग की सदस्य सुमन राय ने अपने आवास स्थित कार्यालय में एक प्रेस वार्ता में जानकारी दी कि एनसीपीसीआर एक
सांविधिक निकाय है । बाल अधिकार संरक्षण आयोग के प्रावधानों के तहत गठित (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 (2006 एक 4) बाल अधिकारों के संरक्षण और अन्य संबंधित मायने रखता है। किन्तु विभिन्न ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में समय-समय पर बाल विवाह किया जाता है। लेकिन कुछ समुदायों में यह एक प्रथा रही है जिसका पालन किया जाता है। वर्ष के कुछ विशिष्ट समय अवधि के दौरान समर्पित तरीके से भारत में अक्षय तृतीया, जिसे अक्ती या आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, एक वार्षिक वसंत ऋतु का त्योहार है। जिसमे विभिन्न मीडिया स्रोतों के माध्यम से पता चला है। कि बड़ी संख्या में बाल विवाह होते हैं। इस वर्ष अक्षय तृतीया या आखा तीज 3 मई 2022 को मनाई जाएगी, जिसके माध्यम से समाज के कुछ लोग बाल विवाह करवाना चाहेंगे। सुमन राय ने बताया कि पीसीएमए 2006 बाल विवाह को रोकने का प्रयास करता है। कुछ कार्यों को दंडनीय बनाना और कुछ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराना बाल विवाह की रोकथाम और निषेध के लिए,पीसीएमए, 2006 की धारा 13(4) में कहा गया है। और अक्षय तृतीया जैसे कुछ दिनों में सामूहिक बाल विवाह के आयोजन को रोकने के प्रयोजनों के लिए, जिले के मजिस्ट्रेट मुख्य अधिकारी होते हैं। जिनको संज्ञान कराकर आयोग बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक शीर्ष निकाय होने के नाते 20 अप्रैल 2022 से पहले इसकी रोकथाम के लिए एक सक्रिय कदम के रूप में निम्न गतिविधियां जैसे बाल विवाह रोकथाम संबंध में ग्राम, शहरी/वार्ड, जिला तहसील स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाएगा। साथ ही पंचायत, ब्लॉक, बाल विवाह पर जागरूकता कार्यक्रमों के संबंध में बैठकें भी आयोजित की जाएंगी।

You cannot copy content of this page