विस्तार से जानिए सितारगंज क्षेत्र में कैसे चल रहा अवैध खनन का खुला खेल।

खनन के अवैध कारोबारी प्रशासन पर भारी होते देख उपजिलाधिकारी ने की कार्यवाही। कार्यवाही में एक मिट्टी से भरा ट्रैक्टर ट्रॉली व तीन आरवीएम से भरे डम्बर किये सीज। इतने पर भी नहीं रुक रहे अवैध खनन कारोबारी। खनन कारोबारी लगा रहे आलाधिकारियों व राजस्व को चूना।

सितारगंज। तुर्का तिसौर व डोहरा समेत चीकाघाट ग्राम में नदी के समीप स्थित खेतो में गेंहू की कटाई के बाद शुरू हुए मिट्टी खनन के कार्य में प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से मिट्टी कारोबारी अवैध तरीके अपनाकर प्रतिदिन सरकार को लाखों करोड़ों के राजस्व की हानि पंहुचा रहे हैं। प्रतिबंधित मशीनों से खुलेआम होने वाले चुगान के कारण जहां एक ओर क्षेत्र की उपजाऊ भूमि की उर्वरक क्षमता को नुकसान पंहुच रहा है, वहीं दूसरी ओर मानकों से अनजान खेत स्वामी सरकार के गुनहगार बन रहे हैं। इतना ही मिट्टी चुगान की अनुमति किसी अन्य खेत की कराकर अवैध रूप से नदी किनारे की मिट्टी पर जेसीबी मशीन चलाई जाती है जिसकी शिकायत पर आज उपजिलाधिकारी तुषार सैनी ने सुबह छापेमारी की लेकिन माफ़ियायों के मुखबिरों के जगह जगह तैनात होने के कारण मशीनों को हटा दिया गया किंतु एक ट्रेक्टर ट्रॉली उपजिलाधिकारी द्वारा जब्त कर ली गयी साथ ही टनकपुर क्षेत्र से आरवीएम लेकर आने वाले कई ऐसे वाहन है जिनके पास रॉयल्टी तो बाजपुर की है लेकिन सरकरा चौकी से होकर ये लोग यूपी में स्टोन क्रशर पर ये माल बेचते हैं। साथ ही साधुनगर एवं उकरोली स्थित पट्टो की आड़ में भी कई खनन माफिया अवैध रूप से पट्टो से दूर स्थिति नदी के ऐसे स्थानों से आरवीएम का चुगान करके यूपी स्टोन क्रशर भेजते है जहाँ कोई पट्टा या अनुमति ही नही है। जिसको लेकर भी उपजिलाधिकार तुषार सैनी ने तीन डंपर सीज करने की कार्यवाही की है। लेकिन इतने से ही काम नही चलने वाला क्योंकि अवैध कारोबारियों व राजस्व कर्मियों की आपसी सांठ गांठ से विभाग के उच्चाधिकारियों की साख पर भी बट्टा लग रहा है। हैरत की बात यह है कि समूचे विकास खण्ड क्षेत्र में दिनदहाड़े सड़कों के किनारे खेतों में चलने वाली प्रतिबंधित मशीनों के विरुद्ध आज तक कोई कार्यवाही विभाग द्वारा नही की गई है।
विस्तार यह है कि नगरीय व ग्रामीण इलाकों में भूखंडों पर होने वाले पटान के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है। जिसके चलते राजस्व में मिट्टी के उठान को लेकर व्यवस्थाएं की गई हैं,जिसके अंतर्गत खेत स्वामी अपने खेत की तीन फीट मिट्टी क्रय कर सकता है। निर्धारित सीमा के बाद मिट्टी पर सरकार का स्वमित्वाधिकार होता है। तीन फीट उठान की अनुमति के लिए भी खेत स्वामी को सरकार को राजस्व चुकाना पड़ता है। साथ ही चुगान के लिए किसी भी प्रकार की मशीनों का प्रयोग प्रतिबंधित रहता है, लेकिन संचालित कार्यों की हकीकत इन नियमों के उलट है। खनन कारोबारी किसानों के खेतों से चुगान की अनुमति प्राप्त करने को आवेदन से ही कूट रचना करते हैं। कोरोबारी शुल्क के बैंक चालान से लेकर सभी कागज़ी कार्यवाही स्वयं करते हैं। जिससे भूमि स्वामी को नियमों की जानकारी ही भी नही रहती। विभाग द्वारा दो सौ घन मीटर मिट्टी के उठान की अनुमति होती है। मिट्टी उठान के लिए कारोबारी विशेष प्रकार की मशीन का प्रयोग कर रहे हैं। यह मशीन ट्राली के साथ चलते हुए मात्र दो मिनट में ट्राली भर देती है। साथ ही खेत को समतल भी करती जाती है। जिससे कारोबारी दो सौ घन मीटर की अनुमति पर पांच हज़ार घन मीटर तक मिट्टी उठा ले जाते हैं। जिससे भूमि की उपजाऊ क्षमता नष्ट होने के साथ ही सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि भी पंहुचती है। इस अवैध कारोबार में सहभागी विभागीय नुमाइंदे अनुमति देने के बाद शायद अपनी आंखे बंद कर लेते हैं। एक आध मामले में शिकायत होने के बाद जमीन की नपत करने पर खेत मालिक के विरुद्ध मोटा जुर्माना काट कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि राजस्व वसूली के नाम पर विभाग किसान की आर सी तक काट चुका है। लेकिन असल में राजस्व की चोरी करने वाले के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।

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