उत्तराखंड किसान भूषण पुरस्कार प्राप्त अनिलदीप महल ने इस क्षेत्र में लाल अंजीर उगाकर किया सबको चकित।

सितारगंज। सितारगंज के एक छोटे से गांव में रहने वाले अनिलदीप महल नाम के कृषक ने पहले तो सबकी सोंच से परे लाल,काले,बैंगनी,पीले,नीले चावल उगाकर पूरे प्रदेश में जो ख्याति प्राप्त की उससे तो कोई भी अंजान नहीं है। लेकिन अनिलदीप ने इतने पर ही न रुककर और कड़ी मेहनत करके कई फलों व सब्जियों को भी जैविक खेती के द्वारा उनके वास्तविक रंग रूप से अलग उपजा कर दिखा दिया है। अनिल दीप ने बताया जैविक खेती (Organic farming) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। इसी विधि व कढ़ी मसक्कत के बाद अनिलदीप ने लाल अंजीर की पैदावार की है।

कितना लाभदायक है लाल अंजीर जा सेवन।

अनिलदीप का कहना है इन्होंने ये अंजीर इस लिए उगाई क्योंकि अंजीर में पोटेशियम, मिनरल, कैल्शियम और विटामिन के गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य को कई लाभ पहुंचाने का काम करते हैं। अंजीर को पेट संबंधी समस्याओं में बहुत फायदेमंद माना जाता है। अंजीर के सेवन से कब्ज और गैस की समस्या में राहत मिल सकती है।अंजीर को ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए फायदेमंद माना जाता है। अंजीर में कैल्शियम बहुत होता है, जो हड्डियों को मजबूत करने में सहायक होता है। अंजीर में पोटैशियम ज्यादा होता है और सोडियम कम होता है इसलिए यह उच्चरक्तचाप की समस्या से भी बचाता है। अंजीर के सेवन करने से मधुमेह, सर्दी-जुकाम, दमा और अपच जैसी तमाम व्याधियों में भी लाभ देखा गया है। इसलिए जैविक कृषि द्वारा उगाई गयी इस लाल अंजीर को यदि आप देखना या चखना चाहते हैं तो आप सितारगंज के बिजटि पटिया ग्राम जरूर आएं। जहाँ अनिलदीप की कई वर्षों की कड़ी मेहनत द्वारा विभिन्न प्रजाति के फल फूल सब्जी आदि को नए रूपों व रंगों में देखकर आप अपनी आंखों पर विश्वास ही नही कर पाएंगे।

You cannot copy content of this page