रुद्रपुर। जिलाधिकारी युगल किशोर पंत ने 17 अप्रैल, 2023 को आयोजित होने वाले कृमि मुक्ति दिवस के सम्बन्ध में चल रही तैयारियों की जिला कार्यालय सभागार में समीक्षा की।
समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी युगल किशोर पन्त ने निर्देशित करते हुए कहा कि सभी सरकारी, सहायता प्राप्त एवं निजी विद्यालयों, महाविद्यालयों, तकनीकी संस्था, मदरसों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाये।।उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि एक भी बच्चा दवाई खाने से वंचित न रहे और यह भी सुनिश्चित किया जाये कि विभिन्न मेडिकल कारणों वाले बच्चों को दवाई न खिलाई जाये। उन्होंने निर्देश दिये कि महाविद्यालयों, तकनीकि शिक्षण संस्थानों के साथ ही पैरामेडिकल कॉलेजों में भी 19 वर्ष तक की आयु वर्ग विद्यार्थियों को चिन्हित करते हुए दवाई खिलाई जाये। उन्होंने स्कूल न जाने वाले सभी बालक, बालिकाओं, श्रमिक के बच्चों एवं घुमन्तू बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र पर आंगनबाड़ी कार्यकत्री के माध्यम से कृमि नाशक दवा एल्बेंण्डाजॉल खिलाने के निर्देश दिये। उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि कृमि मुक्ति दिवस पर दवाई खाने से वंचित बच्चों को 20 अप्रैल 2023 को मॉप-अप दिवस पर दवाई खिलाई जाये। डीएम ने मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा कि सभी स्कूलों,कॉलेजों, आंगनबाड़ी केन्द्रों पर दवाई समय से पहुॅच जाये। उन्होंने विकास खण्ड स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक कराने, सभी विद्यालयों, मदरसों, आंगनबाड़ी केन्द्रों के नोडल अधिकारियों को दवाई खिलाने के तरीके एवं मानक संचालन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिये। बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 मनोज शर्मा ने बताया कि जनपद में एक से 19 वर्ष तक के 685843 बच्चों को दवाई खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि जनपद स्तरीय इमर्जेन्सी रेस्पोंस टीम में डिस्ट्रिक्ट नोडल ऑफीसर डॉ.हरेन्द्र मलिक तथा एसीएमओ डॉ.तपन शर्मा को रखा गया है। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही 8 ब्लॉक स्तरीय इमर्जेन्सी रेस्पोन्स टीमे बनाई गई हैं।
सीएमओ ने बताया कि 1 से 2 साल तक बच्चों को आधी टेबलेट तथा 03 साल तक के बच्चों को पूरी टेबलेट पानी में घोलकर पिलाई जायेंगी। उन्होंने बताया कि 3 से 19 वर्ष से बच्चों को पूरी गोली चबा-चबा कर खिलाई जायेगी। उन्होंने बताया कि 01 से 19 साल के सभी बच्चों (लड़कों एवं लड़कियों) को आन्त के कृमि संक्रमण का खतरा रहता है। उन्होंने बताया कि कृमि मनुष्य की आन्त में रहकर, मानव शरीर ऊतकों से जरूरी पोषक तत्वों को खाते हैं, जिससे बच्चों में कुपोषण एवं खून की कमी होने लगती है तथा बच्चों की कार्य क्षमता घटने लगती है। उन्होंने बताया कि तीव्र संक्रमण के कारण बच्चे थके हुए एवं अकसर बीमार रहने लगते हैं।