चीन द्वारा जा रहे अघोषित जैविक युद्ध में सामाजिक संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण- युद्धवीर सिंह

देहरादून।दून विश्वविद्यालय द्वारा “दून यूनिवर्सिटी एकेडमिक फोरम फॉर कौमबैटिंग कोविड-19” अंतर्गत आयोजित फ्राइडे लेक्चर सीरीज के तत्वावधान में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए आज के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक श्री युद्धवीर सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा संगठन है. संघ के बारे में कहावत है कि संघ अपने आप में कुछ नहीं करता लेकिन संघ के कार्यकर्ता सामाजिक जगत में सेवा का कोई अवसर नहीं छोड़ते हैं उन्होंने कहा कि चीन के द्वारा अघोषित जैविक युद्ध चलाया जा रहा है और ऐसी परिस्थिति में संघ आम जनता की सेवा में निरंतर तत्पर है. संघ के अलावा भी बहुत से संगठन सामाजिक कार्यों में लगे हुए हैं. संघ की कार्यप्रणाली का सबसे सुदृढ़ हिस्सा है उसका नेटवर्क जिसके माध्यम से जरूरतमंद लोगों को तत्काल सहायता पहुंचाई जाती है चाहे परिस्थिति कितनी ही विषम क्यों ना हो. कोविड-19 के दौरान संघ ने समाज में नकारात्मकता को कम करने के लिए भी लगातार काम किया है क्योंकि सोशल मीडिया में लगातार नकारात्मक खबरें आ रही थी तो संघ ने ऐसे लोगों के बारे में वीडियो बनाने शुरू किया जो कोविड-19 की बीमारी से उभरे थे ताकि लोगों के अंदर यह सकारात्मक संदेश जाए कि अधिकतर लोग कोविड-19 से उबर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के 13 जिलों में कोविड-19 की महामारी से निपटने के लिए 805 केंद्र खोले गए थे और इन केंद्रों से सेवा कार्यों का संचालन तीव्रता से एवं कुशलता पूर्वक किया गया. संघ के द्वारा मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए भी सहायता पहुंचाई गई क्योंकि उनके भीतर सहायता की आवश्यकता तो थी परंतु साथ ही सहायता लेने हेतु संकोच था और उस संकोच का निवारण किया गया. इस आपदा में संघ के द्वारा बहुत से सेवा कार्य चलाए गए जैसे कि हेल्प डेस्क बनाना, मास्क का वितरण, सैनिटाइजेशन, प्रवासी मजदूरों के लिए रहने की व्यवस्था शिशु मंदिर, विद्या मंदिर या संघ कार्यालय में करना, वृहद स्तर पर रसोई का संचालन ताकि जरूरतमंदों को भोजन की आपूर्ति घर घर की जा सके, प्रवासियों को भेजने हेतु गाड़ियों की व्यवस्था करवाना, प्लाज्मा दान के लिए लोगों को प्रेरित करना, रक्तदान शिविर लगवाना, जरूरतमंदों के लिए दवाओं की व्यवस्था करना, ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति, लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन डॉक्टर से परामर्श करने की व्यवस्था, टीकाकरण करने के लिए लोगों को प्रेरित करना, एकांतवास की व्यवस्था करना, जहां परिवार के सभी सदस्य संक्रमित हैं वहां भी भोजन उपलब्ध कराना, अंतिम संस्कार की व्यवस्था करना, शवदाह हेतु लकड़ियों की व्यवस्था करना, पुलिस और सफाई कर्मचारियों को खाने एवं काढ़ा पिलाने की व्यवस्था करना, ऑक्सीमीटर की व्यवस्था करना, राशन की किट की व्यवस्था साथ ही डॉक्टर और स्वच्छता कर्मियों को सम्मानित करना इत्यादि.

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पद्मभूषण डॉ बिंदेश्वर पाठक ने अपने उद्बोधन में कहा कि उनका कार्य गांधीवाद से प्रेरित है और उन्होंने अपना जीवन गांधीजी के आदर्शों पर ही चलने पर बिताया है. उन्होंने बताया कि गांधीजी अक्सर कहा करते थे कि अंग्रेजों के अधीन हिंदुस्तानियों को स्वतंत्रता से पहले स्वच्छता की आवश्यकता है. डॉ पाठक ने कहा कि भारत में मल के प्रबंधन की अति आवश्यकता है क्योंकि बहुत सी बीमारियां मल का सही तरीके से निस्तारण नहीं होने के कारण होती है जैसे कि हैजा और डायरिया. दिल्ली जैसे शहर में भी मल के निस्तारण के लिए व्यवस्था पूरी तरीके से नहीं बन पाई है और मल सीधे जाकर यमुना नदी में मिल जाता है जो की बीमारियां होने का प्रमुख कारण है. हम सुलभ तकनीक का इस्तेमाल करके मल के निस्तारण की व्यवस्था को सुधार सकते हैं और मल जनित होने वाली बीमारियों से और प्रदूषण से लोगों को बचा सकते हैं. उन्होंने बताया कि सुलभ इंटरनेशनल ने इस तरह से टॉयलेट डिजाइन की है जोकि बहुत सस्ती है और सुरक्षित है. समय बीतने पर मल को खाद के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. सार्वजनिक स्थानों पर यदि उनकी टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाए तो मल के द्वारा खाने की गैस और स्ट्रीट लाइट जलाई जा सकती है.

दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आपदा के समय में हम पूरी तरीके से सरकार पर निर्भर नहीं रह सकते हैं इसीलिए सामाजिक संगठनों की भूमिका बढ़ जाती है. हम सबको कोविड-19 से निपटने के लिए अपना योगदान देना चाहिए. इस क्रम में, स्वयंसेवक संघ कई वर्षों से निस्वार्थ भाव से सेवा कार्य में लगा हुआ है. चरित्र निर्माण व्यक्तित्व का निर्माण एवं इसके द्वारा राष्ट्र का निर्माण में आर एस एस का योगदान अतुलनीय एवं सराहनीय है. कोविड-19 की आपदा में भी यह संगठन आम आदमी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है. उन्होंने बताया कि हमारे आज के वक्ता सामाजिक योद्धा हैं जिन्होंने इस महामारी से लड़ने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इनसे हम प्रेरणा लेकर ऐसी त्रासदी यों में अपनी भूमिका निभा सकते हैं. दून विश्वविद्यालय के शैक्षिक मंच का कार्य कोविड-19 की महामारी से निपटने के लिए स्वस्थ आलोचना करना है जिसका उद्देश्य संभावित उपायों को खोजना एवं विशेषज्ञों की मदद से एक डॉक्यूमेंट तैयार करना है जो सरकार के साथ-साथ अन्य एजेंसियों के साथ भी साझा किया जाएगा.

इस अवसर पर प्रो कुसुम अरुणाचलम, उप कुलसचिव श्री नरेंद्र लाल, डॉ अरुण कुमार, डॉ राजेश भट्ट, डॉ नरेश मिश्रा, डॉ नवनीत, डॉ अविनाश पाथर्डीकर डॉक्टर ऋषिकेश , डॉक्टर एबी मजूमदार एवं कार्यक्रम के संयोजक प्रो हर्ष डोभाल सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो एच सी पुरोहित ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ मंगल सिंह मन्दर्वाल ने किया.

You cannot copy content of this page