माता अनुसुइया ने त्रिदेवों को शिशु बनाकर पूरी की अतिथि सत्कार की परंपरा।

सितारगंज। रामलीला मंच पर वृंदावन के कलाकारों ने बीती रात्रि माता अनुसूइया की परीक्षा का दृश्य प्रस्तुत किया जिसमें त्रिदेव जब माता अनुसिया की परीक्षा लेने माता अनुसूइया के द्वार पर यतियों के भेष में आते है। तब अतिथि-सत्कार की परंपरा के चलते सती अनुसूया ने त्रिमूर्तियों का उचित रूप से स्वागत कर उन्हें खाने के लिए निमंत्रित किया। लेकिन यतियों के भेष में त्रिमूर्तियों ने एक स्वर में कहा, हे साध्वी, हमारा एक नियम है कि जब तुम निर्वस्त्र होकर भोजन परोसोगी, तभी हम भोजन करेंगे। अनसूया अस मंजस में पड़ गई कि इससे तो उनके पातिव्रत्य के खंडित होने का संकट है। उन्होंने मन ही मन ऋषि अत्रि का स्मरण किया। दिव्य शक्ति से उन्होंने जाना कि यह तो त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं। मुस्कुराते हुए माता अनुसूया बोली जैसी आपकी इच्छा और तीनों यतियों पर जल छिड़क कर उन्हें तीन प्यारे शिशुओं के रूप में बदल दिया। सुंदर शिशु देख कर माता अनुसूया के हृदय में मातृत्व भाव उमड़ पड़ा। शिशुओं को स्तनपान कराया, दूध-भात खिलाया, गोद में सुलाया फिर तीनों गहरी नींद में सो गए। और अपने पतियों को ढूढ़ते हुए तभी वहां तीनों देवियां आ गयीं। पूछने पर माता अनुसूइया ने बताया ये बालक जो पालने में सोए हैं वे तुम्हारे पति हैं। देवियों ने जल्दी में एक-एक शिशु को उठा लिया। वे शिशु एक साथ त्रिमूर्तियों के रूप में खड़े हो गए। तब उन्हें मालूम हुआ कि सरस्वती ने शिवजी को, लक्ष्मी ने ब्रह्मा को और पार्वती ने विष्णु को उठा लिया है। तीनों देवियां शर्मिंदा होकर दूर जा खड़ी हो गईं। तीनों देवियों ने माता अनुसूया से क्षमा याचना की और तभी से अनुसूइया को माता अनुसूइया पुकारा जाता है। इस दृश्य में भाव विभोर होकर कई श्रद्धालुओं के आंखे नम हो गयी। इस अवसर पर रामलीला संयोजक राकेश त्यागी, शिवपाल चौहान,एम पी तिवारी,पवन अग्रवाल,संजय गोयल,अभिषेक जैन,अमित रस्तोगी,आशीष पांडेय,बंटी कौशल,मनोज अरोरा,अनिरूद्ध राय,भीमसेन गर्ग आदि उपस्थित रहे।

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