सितारगंज। नरवाई जलाने से हो रहे नुकसान को देखते हुए कृषि विभाग ने अब किसानाें काे नई मशीनाें से जागरुक करने का काम शुरू कर दिया है। यह मशीन किसानों के लिए वरदान साबित मानी जा रही कृषि विभाग ने बताया की जिले में बेलर मशीन आई है।
नरवाई जलाने से जमीन की उर्वरक क्षमता कम होती है।
नरवाई जलाने से केवल वायु प्रदूषण ही नहीं होता बल्कि जमीन में नाइट्रोजन,फास्फोरस,सल्फर और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों के अलावा जमीन की उर्वरक क्षमता भी कम हो जाती है। इससे किसान खेतों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। प्रदूषण में प्रमुख कारण माने जा रहे नरवाई,जिससे आने वाले दिनों में गाैशाला में रह रहे पशुओं के लिए चारा तैयार किया जाएगा। इससे एक तरफ जहां इसे जलाने की जरूरत नहीं होगी। वहीं गाैशाला में मवेशियों के लिए चारे की दिक्कत से भी छुटकारा मिलेगा।
बेलर मशीन क्या है।
धान व गेहूं, गन्ने की कटाई के बाद खेत में पड़े नरवाई, अवशेष को गठ्ठरों को तैयार करने वाली बेलर मशीन है। जो कि एक सामान्य साइज की मशीन है, जिससे तैयार गठ्ठर का साइज सात सौ से एक हजार एमएम होगा। इसमें पच्चीस से चालीस एचपी ट्रैक्टर से संचालित किया जाएगा। यह राेल और चाेकाैर दाेनाें प्रकार का गठ्ठर बनाने का काम करती है।
अवशेष मान कर जलाते हैं नरवाई।
पारंपरिक खेती में पशुओं का भी खासा योगदान था। मौजूदा समय हार्वेस्टर, रीपर जैसी फसल काटने की मशीनें आ गई हैं, जो फसल में फल वाले ऊपरी हिस्से को काट देती हैं और बाकी नीचे फसल का पूरा तना बच जाता है, जिसे फसल अवशेष मान कर नरवाई को जलाया जाता है।