नीम-हकीम के नुस्खों पर ज्यादा विश्वास नहीं करना चाहिए।
कोरोना का अभी तक कोई पक्का इलाज नहीं है। ऐसे में लोगों के मन में विचार आते हैं कि शायद ऐसे ठीक हुआ जा सकता है। हमारे यहां हर आदमी नीम हकीम बन जाता है और अपनी राय देने लगता है। इस तरह के नुस्खों पर ज्यादा विश्वास घातक हो सकता है। अगर किसी को परेशानी हो रही है तो वह डाक्टर से परामर्श जरूर ले।
इंटरनेट मीडिया पर नीम हकीम का ज्ञान पड़ सकता है भारी।
-प्रचारित हो रहे तरह-तरह के नुस्खे
-नीबू के रस से कोरोना को भगाने का दावा
-डाक्टरों की राय बीमारी की चपेट में आते ही करें डाक्टर से परामर्श कोरोना महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। भारी संख्या में लोग इससे से लड़कर जीत रहे हैं, लेकिन कुछ लोग इसकी चपेट में आकर जान भी गंवा रहे हैं। दूसरी ओर इंटरनेट मीडिया पर कोरोना को हराने के तरह-तरह के सुझाव वायरल हो रहे हैं। कोई कह रहा है कि नींबू की दो बूंद नाक में डालने से कोरोना चला जाएगा तो कोई कह रहा है कि सूरज की रोशनी में लेटने से कोरोना चला जाएगा। जबकि डॉक्टरों का कहना है कि इंटरनेट मीडिया पर नीम हकीम के ज्ञान के चक्कर में ना पड़ें अगर परेशानी है तो तुरंत ही कोरोना का इलाज कराना शुरू कर दें। नीम-हकीम के नुस्खे कभी-कभार जान पर भारी पड़ जाते हैं।
नगर में प्रतिदिन 5 से 9 लोगों की मौत कोरोना से हो रही है। कोरोना का खतरा बढ़ने के साथ-साथ बचाव के प्रयास भी तेज हुए हैं। दूसरी ओर इंटरनेट मीडिया कोरोना से बचाव और इलाज का अड्डा बनता जा रहा है। आए दिन इंटरनेट मीडिया साइट्स पर कोरोना से बचाव के लिए नीम हकीम की पोस्ट वायरल हो रही हैं। कोई बता रहा है कि नींबू की दो बूंद नाक में डालने से कोरोना भाग जाएगा तो कोई बता रहा है कि धूप में पेट के बल लेटने से कोरोना का खात्मा हो जाएगा। इस तरह के मैसेज आए दिन इंटरनेट मीडिया पर देखने को मिल रहे हैं। मैसेज में दावा किया जाता है कि इस नुस्खे से कोरोना का पूरी तरह खात्मा हो जाएगा। साथ ही साथ बताया जाता है कि इस नुस्खे का इस्तेमाल कर अब तक अनगिनत लोग ठीक भी हो चुके हैं। इंटरनेट मीडिया पर दवाइयों के पर्चे और दवाइयों के रैपर तक वायरल हो रहे हैं। डॉक्टरों की राय है कि कोरोना की चपेट में आने के बाद नीम हकीम का ज्ञान सेहत पर भारी पड़ सकता है। यह बीमारी अत्याधिक घातक है। नुस्खों से इलाज करना झोलाछाप डाक्टर से इलाज कराने जैसा है। फिजिशियन व बाल रोग विशेषज्ञ डा. रवि सहोता बताते हैं कि शुरूआती बुखार को गंभीरता से लें। छठे दिन से 12वें दिन तक खतरे वाला पीरियड होता है। ऑक्सीजन लेवल जैसे ही 96 से नीचे आए तुरंत डाक्टर से परामर्श करें। भर्ती होने की कोशिश करें। लापरवाही भारी पड़ सकती है।