देहरादून। दून विश्वविद्यालय में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत एवं विश्व मानसिक दिवस के उपलक्ष में मानसिक स्वास्थ्य संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों का सफल आयोजन किया जा रहा है. इस क्रम में विश्वविद्यालय में नशे के कारण होने वाले दुष्प्रभाव की चर्चा की गई. नशा मुक्ति के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए दून विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के द्वारा एक रैली निकाली गई. इस रैली के माध्यम से नशे के कारण होने वाले दुष्प्रभावों से संबंधित जानकारी को जनमानस पहुंचाने का प्रयास किया गया.
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कहा कि नशे की बढ़ती हुई प्रवृत्ति किशोर और युवाओं को खोखला करती जा रही है. इसके कारण न केवल नशे के आदी व्यक्ति को बल्कि उसके पूरे परिवार को मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसीलिए नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को समाज के सभी व्यक्तियों के द्वारा गंभीरता से लेने की जरूरत है. जब हमारे पड़ोस में कोई ड्रग एडिक्शन का शिकार हो जाता है तो हमें यह दूसरे की समस्या लगती है और हम अपना पल्ला झाड़ लेते हैं . हमें ऐसा लगता है कि नशे की आंच हम तक कभी नहीं आने वाली है. जिस प्रकार से युवाओं में नशे का चलन बढ़ा है और यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे अपने लोग इसका शिकार होने लगेंगे. हमें अपनी सामूहिक जिम्मेदारी को समझना होगा कि नशा मुक्ति के लिए हमारी व्यक्तिगत जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण है. सामाजिक व्यक्ति होने के नाते प्रत्येक व्यक्ति को इस बात की जिम्मेदारी लेनी होगी कि वह समाज के विभिन्न वर्गों को नशा मुक्ति के बारे में जागरूक करने में अपना योगदान देगा. प्रोफेसर डंगवाल ने बताया कि उत्तराखंड पुलिस विभाग के द्वारा लंबे समय से नशा मुक्ति अभियान जोर शोर से चलाया जा रहा है जो कि एक प्रशंसनीय और सराहनीय कार्य है. नशे की प्रवृत्ति में अंकुश लगाने और ड्रग रेकेट्स को पकड़ने में उत्तराखंड पुलिस की भूमिका हमेशा से ही महत्वपूर्ण रही है. नशा मुक्ति अभियान के तहत उत्तराखंड पुलिस के द्वारा देहरादून मैराथन का आयोजन 30 अक्टूबर 2022 को किया जा रहा है और इसमें अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
मनोविज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ राजेश भट्ट ने कहा कि परिवार में किसी एक व्यक्ति के नशा ग्रसित हो जाने के कारण परिवार के अन्य सदस्यों को भी मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. माता-पिता को अपने बच्चों के व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों के प्रति सचेत रहने की जरूरत है. जब माता-पिता अपने बच्चों के साथ संवेगात्मक रूप से निकट नहीं होते हैं तो उस परिस्थिति में बच्चों के नशे का आदी होने की संभावना बढ़ जाती है. परिवार के प्रत्येक सदस्य को सामाजिक रूप से एक दूसरे के समर्थन, प्यार और देखभाल की आवश्यकता होती है. भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास समय की कमी है और लोग टेक्नोलॉजी में इतना खो गए हैं कि आपसी संवाद में काफी कमी आई है. इस कमी को पूरा करने के लिए कई बार माता-पिता अपने बच्चों का जेब खर्च बढ़ा देते हैं और वह इस बात को मॉनिटर नहीं करते हैं कि वह इस पैसे का किस तरीके से उपयोग कर रहे हैं. एक बार नशे का आदी होने पर फिर से सामान्य होना, एक जटिल और कठिन प्रक्रिया होती है. इसीलिए कोई व्यक्ति नशे का आदी हो उससे पहले ही हस्तक्षेप करने की आवश्यकता होती है। इस कार्यक्रम में डॉ स्वाति सिंह,डॉ. यशवी, दीपक कुमार, आयुषी पंडवाल, विज्ञानी, निशिता, सिद्धांत, बिपाशा और महक आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई एवं इस जागरूकता रैली में अनेक अन्य विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया.