(उत्तराखंड)हल्द्वानी। यह तो निश्चित ही है कि जो ठीक हो चुके हैं, उनकी संख्या संक्रमितों से 10 गुना ज्यादा है। ये भी सच है कि जो लोग स्वस्थ हो चुके हैं, वे दस-दस बार प्लाज़्मा दान कर सकते हैं। और प्लाज़्मा ट्रांसप्लांट इस बीमारी से लड़ने का एक कारगर तरीका भी है। फिर हम अपने लोगों को प्लाज़्मा दान करने के लिए कैसे मोटिवेट करें?
इस बात को समझाते हुए हल्द्वानी तैनात सीपीयू प्रभारी कमल कोरंगा ने अपना प्लाज्मा दान करने के बाद सोशल मीडिया पर फ़ोटो अपलोड करके अपनी पोस्ट के माध्यम से कहा कि समाज में कई लोग ऐसे होंगे जिनको कोरोना हुआ भी होगा वह ठीक हो गए होंगे और उन्होंने कोरोना टेस्ट कराया भी नहीं होगा। आज के समय की जरूरत है कि हम अपना एंटीबॉडी टेस्ट करा कर जोकि सरकारी अस्पताल में निशुल्क है यह जानकर कि हमारे शरीर में एंटीबॉडी है कि नही, अपना प्लाज्मा किसी जरूरतमंद को देकर किसी की जान बचा सके।
जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं वह तो अनिवार्य रूप से प्लाज्मा दान करें क्योंकि उनसे ज्यादा जीवन का मूल्य कौन समझ सकता है।
हम किसके इंतज़ार में रुके हुवे हैं? एक दूसरे की मदद करते हुवे ही तो इस आपदा को हम इतना झेल पाए हैं। तो एक कदम आगे बढ़कर हम इस प्लाज़्मा दान के डर के बैरियर को क्यों नहीं तोड़ देते?
हम कुछ ऐसा करें, कि ये हर कोविड से ठीक होने वाले व्यक्ति की आदत में आ जाए। रोज़ सुबह फेसबुक खोलते ही पोस्ट पढ़ता हूँ कि किसी को प्लाज़्मा की ज़रूरत है। ऐसा कब होगा जब फेसबुक खोलते ही ऐसी पोस्ट पढ़ने को मिलें कि “सकुशल ठीक हो गया हूँ।