देहरादून। मनोविज्ञान विभाग, दून यूनिवर्सिटी और राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी ने नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर द पर्सन विद डिसेबिलिटी(NIPVD) के संयुक्त तत्वाधान में 10 दिवसीय मनोविज्ञानिक परीक्षण निर्माण संबंधित कार्यशाला ऑनलाइन प्रारंभ की गई। कार्यशाला संयोजक डॉ रश्मि पंथ ने बताया की इस कार्यशाला में 150 प्रतिभागी है जोकि विभिन्न राज्यों से हैं। साथ ही इसमें विषय विशेषज्ञ जेएनयू, आईआईटी बैंगलोर, बीएचयू एवं उत्तराखंड से जुड़ेंगे जो कि इस वर्कशॉप के अंतर्गत प्रतिभागियों को मनोवैज्ञानिक परीक्षण बनाने हेतु सघन ट्रेनिंग देंगे! करोना महामारी के चलते आज हमें मनोविज्ञान के क्षेत्र में अत्यधिक कार्य करने की आवश्यकता है, इसके लिए हमें हर पहलू से संबंधित कार्यशाला को कराना होगा! उद्घाटन सत्र में दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल ने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष में उत्कृष्ट मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की विशेष आवश्यकता है और मानसिक स्वास्थ्य संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देने की जरूरत है। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि अब आने वाले समय मे उत्तराखंड के विद्यार्थियों को मनोविज्ञान में बीए ऑनर्स करने के लिए उत्तराखंड से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है, शीघ्र ही दून यूनिवर्सिटी में स्नातक स्तर पर मनोविज्ञान बीए ऑनर्स खोला जाएगा. एनआईपीवीटी(NIPVD) के निदेशक डॉ हिमांशु दास ने प्रशिक्षणार्थियों को नए परीक्षण निर्माण हेतु महत्वपूर्ण टिप्स दिए और बताया कि भारत में अभी भी बहुत पुराने टेस्ट इस्तेमाल किया जाता है जो कि लगभग 40 वर्ष पुराने हैं, जो आज के परिपेक्ष में सही परिणाम नहीं दे सकते हैं, इसलिए मनोवैज्ञानिकों को इस पर कार्य करने की अत्यधिक आवश्यकता है। कार्यक्रम के ऑर्गेनाइजिंग डायरेक्टर प्रो बी आर पंत, प्राचार्य एमबीपीजी कॉलेज ने अतिथियों का स्वागत किया और इस तरह के कार्यक्रमों को कराते रहने की प्रेरणा प्रदान की कार्यक्रम के सचिव और दून विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के अस्सिस्टेंट प्रोफेसर डॉ राजेश भट्ट द्वारा कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला औऱ कहा कि भारत मे आज भी पश्चिमी देशों के बनाये हुए मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का अधिकतर प्रयोग किया जाता है जो कि भारतीय परिवेश के अनुकूल नही होते है इसीलिए भारतीय अनुकूलित मनोवैज्ञानिक परीक्षण बनाने की अति आवश्यता है। प्रो. एच सी पुरोहित (डी एस डब्ल्यू) ने इस तरह की कार्यशाला को वक्त की जरूरत बनाया। संयोजक समिति के सदस्य डॉ0 सविता कर्नाटक तिवारी डॉ सुरेंद्र ढालवाल, कुलसचिव डॉ एम एस मंद्रवाल उपस्थित थे