सितारगंज। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती के उपलक्ष्य में भव्य यात्रा नानकमत्ता गुरूद्वारा साहिब से चलकर मझोला पहुची जहां मंदिर के महंत कृष्ण कुमार शर्मा, एव राम भरोसे गिरी द्वारा सरोपा भेंट करके यात्रा का स्वागत किया गया। जिसमें प्रसाद वितरण भी किया गया। उसके बाद यात्रा सितारगंज पहुँची जहां महाराणा प्रताप चौक पर स्थानीय लोगों ने यात्रा का स्वागत करते हुए मीठा जल वितरण किया। इसी क्रम में यात्रा का स्वागत सिसौना में भी स्थानीयों द्वारा किया गया। उसके बाद यात्रा सिडकुल मीरा बारह राणा में महाराण प्रताप स्मारक परिसर में पहुँची जहां श्रीपाल राणा की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन किया हुआ जिसमें मुख्य वक्ता रहे पंतनगर विश्व विद्यालय प्रोफेसर डॉ शिवेंद्र ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जिस प्रकार राष्ट्र के प्रति समर्पण भावना रखते हुए वे सदैव रणभूमि में अपने अलग व्यक्तिव के लिए पहचाने जाते थे उसी प्रकार आज की पीढ़ी को भी राष्ट्रवाद की भावना से ओत प्रोत होना चाहिए। जैसा कि हम सब जानते हैं कि महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो था, साथ ही उनके छाती का कवच 72 किलो का था। भाला, कवच, ढाल और दो तलवारों के साथ उनके अस्त्र और शस्त्रों का वजन 208 किलो था। और यह भार वे अपनी मातृभूमि के प्रति स्नेह के कारण वहन करके चल पाते थे। महाराणा प्रताप ने अपनी मां से ही युद्ध कौशल सीखा था। देश के इतिहास में दर्ज हल्दीघाटी का युद्ध आज भी पढ़ा जाता है। राजा महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया ये युद्ध बहुत विनाशकारी था। लेकिन उन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राण त्यागना ज्यादा जरूरी समझा बजाए रण छोड़कर जाने के। वहीं कार्यक्रम में डालचंद अग्रवाल, सुरेश राणा,रामकिशोर, मलकीत सिंह,हुकुमचन्द,सुरेश जोशी,राकेश राणा,कृष्णपाल,आशीष पांडेय,डिल्लू राणा,रमेश राणा,कन्हई राणा, विनोद राणा,हरीश,तरुण,सूरज, पवन बिंद, प्रकाश सिंह आदि उपस्थित रहे।