सितारगंज। सितारगंज में कभी भी कांग्रेस का पलड़ा भारी नहीं रहा। राज्य गठन के बाद सिर्फ एक बार ही कांग्रेस जीत का स्वाद चख सकी। वह भी प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए बहुगुणा खुद ही इस सीट पर उतरे तब जनता ने उनको भारी मतों से जीत दिलाई। इसके बाद कांग्रेस यहां सिर्फ एक बार सीधी लड़ाई में रही। इसके साथ ही दो बार बसपा, दो बार भाजपा और एक बार कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की है।
राज्य गठन के बाद 2002 में हुए विधनसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी नारायण पाल विजयी हुए। नारायण पाल ने भाजपा की बीना आर्य को हराया। 2007 में भी जनता ने दोबारा उनको चुनकर विधानसभा भेजा। इस बार उन्होंने 31745 मत प्राप्त किए। कांग्रेस के कांता प्रसाद को 23308 मत मिले। भाजपा प्रत्याशी खूब सिंह तीसरे स्थान पर रहे। उनको 17992 वोट प्राप्त हुए। सपा प्रत्याशी खजान चंद को चौथा स्थान मिला। उनको 4688 मत मिले। तीसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा ने किरण चंद मंडल को मैदान में उतारा। 2012 में हुए चुनाव में किरण मंडल ने बसपा प्रत्याशी को हराया। किरण मंडल को 29280 और नारायण पाल को 16668 मत मिले। इस चुनाव में कांग्रेस तीसरे स्थान पर पहुंच गई। पार्टी प्रत्याशी सुरेश कुमार को 15508 और निर्दलीय उम्मीदवार अनवार अहमद को 7085 मत मिले। 2012 में कांग्रेस को प्रदेश में बहुमत मिला और सरकार बनाई। विजय बहुगुणा को सदन का नेता चुना गया। वह मुख्यमंत्री बने। लेकिन बहुगुणा ने विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था। पार्टी ने जोड़ तोड़ का गणित अपनाया और सितारगंज विधायक किरण चंद मंडल को तोड़ लिया। मंडल कांग्रेस में शामिल हो गए और इस्तीफा दे दिया। इसके बाद विजय बहुगुणा ने इस सीट से जीत हासिल की। इसी के साथ किरण मंडल का राजनीतिक कैरियर भी खत्म हो गया। विजय बहुगुणा भी पांच साल मुख्यमंत्री पद पर नहीं टिक सके। पार्टी में बगावत की वजह से उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले वह भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा उन्होंने अपनी सीट पर अपने बेटे सौरभ को चुनाव लड़ाया। बीते चुनाव में सौरभ ने 50559 मत हासिल किए। यह सितारगंज के इतिहास में भाजपा की सबसे बड़ी जीत थी। कांग्रेस प्रत्यशी मालती विश्वास को 22147 मत मिले। बसपा के नवतेज पाल को 11892 मत प्राप्त हुए। जबकि सपा के योगेंद्र यादव को मात्र 811 वोट मिले। 2017 में बसपा के उम्मीदवार रहे नवतेज पाल इस बार कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं अब उनका सामना भाजपा के सौरभ बहुगुणा से होगा या बसपा प्रत्याशी नारायण पाल का सामना सौरभ बहुगुणा से होना है यह तो आने वाले वक्त ने ही तय किया है की विजय किसकी होगी। इस बार आम आदमी पार्टी से मैदान में उतरे अजय जयसवाल के लिए जनता का क्या रुख रहेगा।